मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 8 की वैल्यू बीते हफ्ते कंबाइंड रूप से 1.65 लाख करोड़ रुपए कम हुई है। इस दौरान HDFC बैंक टॉप लूजर रहा। हफ्ते भर के कारोबार के दौरान बैंक का मार्केट कैप 46,729.51 करोड़ रुपए कम होकर 12.94 लाख करोड़ रुपए रह गया है।

HDFC बैंक के अलावा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) दूसरा सबसे बड़ा लूजर रहा। SBI का मार्केट कैप हफ्ते भर में 34,984.51 करोड़ रुपए गिरकर 7.17 लाख करोड़ रुपए रह गया है। इनके अलावा हिंदुस्तान यूनिलीवर, रिलायंस इंडस्ट्रीज, ITC, भारती एयरटेल, LIC और ICICI बैंक का मार्केट कैप भी कम हुआ है।

वहीं, इस दौरान इंफोसिस टॉप गेनर रही। इंफोसिस की वैल्यू इस दौरान 13,681.37 करोड़ रुपए बढ़कर 7.73 लाख करोड़ पर पहुंच गया। इसके अलावा TCS का मार्केट कैप 416.08 करोड़ रुपए बढ़कर 15 लाख करोड़ पर पहुंच गया।

पिछले हफ्ते सेंसेक्स 1,906 अंक गिरा था

पिछले हफ्ते सेंसेक्स 1,906.01 अंक यानी 2.39% गिरा है। वहीं गुरु नानक जयंती की छुट्टी के चलते शुक्रवार यानी 15 नवंबर को शेयर बाजार बंद रहा था। इससे पहले गुरुवार (14 नवंबर) को सेंसेक्स 110 अंक की गिरावट के साथ 77,580 के स्तर पर बंद हुआ था। निफ्टी में भी 26 अंक की गिरावट थी, ये 23,532 के स्तर पर बंद हुआ था।

हालांकि, BSE स्मॉलकैप 429 अंक चढ़कर 52,381 पर बंद हुआ था। सेंसक्स के 30 शेयरों में से 17 में गिरावट और 13 में तेजी थी। निफ्टी के 50 शेयरों में से 29 में गिरावट और 21 में तेजी थी। NSE के सेक्टोरल इंडेक्स में FMCG सेक्टर सबसे ज्यादा 1.53% गिरा था। जबकि, मीडिया सेक्टर में सबसे ज्यादा 2.26% की तेजी थी।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?

मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।

मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।

मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)

मार्केट कैप कैसे काम आता है?

किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।

कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।

मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?

मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।

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